नासे रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत वीरा - अर्थात हनुमान के होते हुए हमें किसी प्रकार का भय सता नहीं सकता. नासे रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत वीरा - अंतकाल रघुवरपुर जाई, जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥ और देवता चित्त ना धरई,हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥